साहित्य को जिसने जमीन से जोड़ा#नेहाजैन जी द्वारा शानदार रचना#

साहित्य को जिसने जमीन से
 जोड़ा
आम आदमी का बना वो  चेहरा
सामाजिक बीमारियों को बनाया निशाना अपना
निर्मला के चरित्र में हर युवती ने खुद को देखा
बना मंत्र मानवीयता की मिशाल
प्रेमाश्रम में जीवन किसान का देखा
गबन ,गोदान कफ़न,' ईदगाह हो या पूस की रात,
कर्बला , बड़े भाई साहब ,बूढ़ी काकी,पंच परमेश्वर
यर्थाथ का धरातल इनमे
प्रेमचंद ने बहुत खूब दिखाया
सरल था व्यक्तित्व जिनका
संघर्षों संग जीवन अपना गुजारा था
माधुरी ,मर्यादा, सरस्वती का किया संपादन
पत्रिका हंस से अंग्रेजों को दहलाया था
मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था
नबाबराय नाम से लिखते थे
शिक्षा पूरी करने को पैदल 
बनारस चलकर जाते थे
आधुनिक युग के महान 
कथा  सम्राट कहलाए
बनकर मुँशी प्रेम चंद्र 
सबके ह्र्दय में समाए
जमीनदारी, उपनिवेशवाद, साम्प्रदायिकता, कर्जखोरी 
विधवा विवाह,दहेज दानव
सब पर तीखा प्रहार किया
मशाल क्रान्ति की लिये बढ़े
वो आगे
मंगलसूत्र उनकी आख़िरी रचना जो रह गई अधूरी
शत शत नमन उस मूर्ती को
जिसने समाज को आईना
दिखलाया
कलम के सिपाही बनकर
जन जन में अलख जगाया।।।

स्वरचित
नेहाजैन

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