जब जब शत्रु ने ललकारा
अजगर बनकर फुनकारा
चली अनीति की चाल
विप्पतियों का बुना जाल
दिखाने उनको उनकी औकात
देखो झांसी की रानी आई
जब आवाज दबी अच्छाई की
कीमत घटी सच्चाई की
नफरतो का फैला बाजार
नेकी पर बदी का वार
लेकर आशा की किरण
देखो झांसी की रानी आई
चारो ओर मचा कोहराम
जनता का जीना हुआ हराम
परेशानी के बादल दिन रात
कोई न देता किसे साथ
लेकर क्रांति की मशाल
देखो झांसी की रानी आई
बच्चे बूढ़े सब बेहाल
माताओ बहनो का मत पूछो हाल
आफत में फंसी जान
कैसे बचाए अपनी आन
धारण कर रणचण्डी अवतार
देखो झांसी की रानी आई
टूट गई मन की आस
अपनो का अपनो पर विश्वास
धोखेबाजी बेईमानी लूटमारी
ताक पे रख दी ईमानदारी
सिखाने धर्म का ज्ञान
देखो झांसी की रानी आई
लिखने एक नया हिंदुस्तान
जिसमें सब हो एक समान
राग द्वेष की ना हो भावना
मिट जाए बदले की कामना
ऐसी मजबूत नींव रखने
देखो झांसी की रानी आई
स्वरचित
वैष्णवी पारसे
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