नमन वीणा वादिनी
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दिनांक--24/09/2020
दिवस---- बुधवार
विषय-- फूल
(बालकविता)
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फूल प्यारे होते हैं,
सबके मन को भाते हैं।
मेरे घर के आंगन में वो,
रोज मुझसे मिलने आते हैं।
गुलाब तुम बहुत प्यारे हो,
रंग- बिरंगे और न्यारे हो।
मेरी मम्मी का गजरा तुम,
अपनी खुशबू से सजाते हो।
गेंदा तुम तो निराले हो,
झूमते हो मतवाले हो।
मेरी दादी का मंदिर तुम,
अपनी सेज से सजाते हो।
समता का ये पाठ पढा़ते,
लड़ना झगड़ना नहीं सिखाते।
अहंकार तो बिल्कुल नहीं,
सौम्य भाव सबको सिखाते।।
रचनाकार--नीलम डिमरी
गोपेश्वर,,,,,चमोली
उत्तराखंड
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