*समूह का नाम-बदलाव मंच*
*शीर्षक-गंगा की व्यथा**
महादेव की जटा से निकली वो
भागिरथ की टेर से हिलोर आयी
हिमालय पुत्री करकल शोर आयी
नीर से पर्वतो को चीर के आयी
पवित्रता की मिसाल गंगा
नीर में मोती बिखेर के लायी
मदमस्त गगन चूम के आयी
सागर से मिलने पावन गंगा
जगतहित लिए भू पर आयी
हजारो पाप गंगा में ही धुले है
गंगा में नहाकर मुक्ति द्वार खुले है
जीवन का सार लिए गंगा
अपनत्व निभाने आयी
जल में मिठास लिए गंगा
मानव प्यास बुझाने आयी
पुराणो में भी इसके जल का वास है
पवित्रता का प्रतीक गंगा पाप विनाश है
गंगा की महिमा क्या कहूँ गरिमा
गंगा की व्यथा क्या कहूँ गंगा आज निराश है
जन ने किए इसपर हजार अत्याचार है
कुडे़ का ढेर इसमे मिलाया है
दूषित कर गंगाजल जहर बनाया है
पर्यावरण की गरिमा को किया लाचार है
शोषित हुयी गंगा आज उदास है
अगर पापो को धोना चाहते हो
क्यू गंगा को रोने देना चाहते हो 😢
*गरिमा विनित भाटिया*
*अमरावती महाराष्ट्र*
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