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सीप बीच में, मोती अनमोल,
सीप मिलें,सागर बीच में।
अम्बर बीच मे ,चाँद-सितारें,
नयनों बीच ,स्वर्णिम सपनें।
नूतन जीवन सपनों से संवारे,
अम्बर बीच,अद्भुत दिनकर।
चमकें धरा बीच,नदियाँ की धारे,
बीच पहाड़ों से, बहता निर्झर।
जीवन एक सरिता, सागर ,
हदय -बीच प्रेम की धारा।
अविरल आगे बढ़ता जीवन,
लेकर उम्मीद की एक लहर।
नभ के बीच भास्कर चमके,
आलोकित करती रश्मि-किरण।
नव-जीवन का करकें सृजन,
निर्मल स्वच्छ विचारों के बीच।
जगत निर्माण करे नया सुन्दर,
मनुज- प्रेम से सींच हृदय बीच।
नई खुशियों का करके संचार,
जगायें मानव-बीच सागर से गहरा प्यार।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका सागर के बीच
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सीप बीच में, मोती अनमोल,
सीप मिलें,सागर बीच में।
अम्बर बीच मे ,चाँद-सितारें,
नयनों बीच ,स्वर्णिम सपनें।
नूतन जीवन सपनों से संवारे,
अम्बर बीच,अद्भुत दिनकर।
चमकें धरा बीच,नदियाँ की धारे,
बीच पहाड़ों से, बहता निर्झर।
जीवन एक सरिता, सागर ,
हदय -बीच प्रेम की धारा।
अविरल आगे बढ़ता जीवन,
लेकर उम्मीद की एक लहर।
नभ के बीच भास्कर चमके,
आलोकित करती रश्मि-किरण।
नव-जीवन का करकें सृजन,
निर्मल स्वच्छ विचारों के बीच।
जगत निर्माण करे नया सुन्दर,
मनुज- प्रेम से सींच हृदय बीच।
नई खुशियों का करके संचार,
जगायें मानव-बीच सागर से गहरा प्यार।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका शशिलता पाण्डेय
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