कवि- आदरणीय राजेश तिवारी "मक्खन" जी द्वारा सुंदर रचना.....

सरस्वती वंदना
ये नमन हमारा श्री चरणों में स्वीकृत हो माँ भारती ।
कवि गण करते आरती माँ  कवि गण गाते आरती ।।

बच्चे है हम दिल के सच्चे पर बुद्धि के कच्चे ।
कैसे है हम नहीं जानते माँ तुम कर दो अच्छे ।।
पूत कुपूत भले ही हो पर माँ ही उसे सुधारती ।
कविगण...............................................१

गूंगा को तुम गुणी बनाती ज्ञान का दीप जलाती ।
तुम देवों के काज बनाती ,  सुधीजनों को भाती ।।
माँ माँ कह जो शरण में आये उसके भाग्य संभारती ।
कविगण ..,.................................................२

ज्ञान कर्म और भक्ति भाव मम उर में भर दो माता ।
तेरे पाद पदुम को पा कर , छोड़ न मन कहीं जाता ।।
हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी , जय जय जीभ पुकारती ।
कविगण .....................................................३

मेरी जिह्वा सत्य ही बोले ,  और मधुर मधुर उच्चारे ।
उज्जवल हो सब धवल दूध से जो हम सोच विचारे ।।
ब्रह्म विचार धार कर उर में , सुत को सदा दुलारती ।
कविगण ......................................................४

मक्खन पर ममता की ढेरी , माँ  तूंँ सदा लुटाती ।
माँ माँ कह जब शिशु पुकारे दौड़ी हि चली आती ।।
तेरे चरण कमल चित लाऊ सदा करूं मैं आरती ।
कविगण ,,,,.,................................................५

राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी उ प्र

मेरी यह रचना स्वरचित व मौलिक है ।

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