*हिंदीमय विश्व अभियान*
भारत-माता की बिंदी ही नहीं,
हिंदी को सिरमौर,सम्पूर्ण परिधान बनाएंगे..
हम हिंदी, हिंदी-दिवस या पखवाड़ा ही नहीं,
आजीवन बारम्बार हिंदी-वर्ष मनाएंगे..
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं है,
हमारे जीवन की आशा है..
जन-जन को भारत से जोड़नेवाली,
ढोंगहीन प्रेम की परिभाषा है..
एक दिन 'वसुधैव कुटुम्बकम' हो 'ट्रिपल डब्ल्यू' की जगह पे,
निज भाषा का ऐसा 'वर्चुअल विश्व जाल' फैलाएंगे..
भारत-माता की बिंदी ही नहीं.......
नए भारत की नई शिक्षा-नीति से,
हिंदी-संस्कृत गुंजायमान होंगी..
मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा-नीतियाँ,
शान होंगी, अभिमान होंगी...
'अ' अनोखा 'ज्ञ' से ज्ञानी,
निजभाषा-संस्कृतियुक्त पीढ़ियां बनाएंगे..
बदलाव की बयार चलेगी,
आंग्लभाषा की गुलामी नहीं अपनाएंगे..
हिन्दीमय हो विश्व,ऐसा अभियान चलाएंगे..
जब तन-मन-धन से हिंदी साहित्य -संस्कृति,
समृद्ध करते जायेंगे..
तब हिंद के हिंदी सपूत
सच्चे अर्थों में हमसब कहलायेंगे..
भारत-माता की बिंदी ही नहीं,
हिंदी को सिरमौर,सम्पूर्ण परिधान बनाएंगे..
हम हिंदी, हिंदी-दिवस या पखवाड़ा ही नहीं,
आजीवन बारम्बार हिंदी-वर्ष मनाएंगे....
दीपक क्रांति,
संस्थापक, हिंदीसेवी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच
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