कवि ओम प्रकाश श्रीवास्तव जी द्वारा 'पेड़ पौधा की कटाई' विषय पर लेख

पटल को नमन
 विधा :-लघु कथा
विषय:- पेड़ पौधों की कटाई

 दृश्य एक बड़े बिल्डर का घर, जिसके घर के बाहर एक छोटा सा पेड़ पौधों से भरा पूरा बागीचा है। घर के चारों ओर ऊंची ऊंची इमारतें है तथा पास ही कई फैक्ट्रियां हैं।
 पुत्र;- पिताजी मुझे आपसे एक बात पूछनी है?
पिता:- हां बेटा पूछो।
पुत्र:- पिताजी आप तो बहुत अच्छे अच्छे घर बनवाते हैं, इतने घर बनवाने के लिए भूमि कहां से  मिलती है?
 पिता:- अरे बेटा इसमें कौन सी बड़ी बात है। शहर के आसपास जहां खाली जगह होती है अथवा पेड़ पौधे लगे रहते हैं उनको साफ करके हम लोग उसी में अच्छे से घर बनाते हैं।
 पुत्र:- पिताजी अपने घर के सामने के बगीचे में भी एक बढ़िया सा घर बना दो ना।
पिता:- अरे बेटा अपने पास इतना बड़ा घर है तो इसी में रहो क्या दिक्कत है।
पुत्र:- नहीं पापा सामने वाले बगीचे में घर बनाओ।
पिता: (पुत्र को प्रेम से समझाते हुए) बेटा हम अपने घर के सामने यह बगीचा इसलिए रखते हैं जिससे हम लोगों को शुद्ध हवा मिलती रहे और हम प्रदूषण से भी बच सकें। अगर यहां पर हमने घर बना दिया तो हमें शुद्ध हवा नहीं मिल पाएगी और फैक्ट्रियों के कारण जीवन दुर्लभ हो जाएगा।
 पुत्र:-( कुछ सोचते हुए) पिताजी आप जहां भी घर बनाते हैं वहां पर पेड़ पौधों को काट देते हैं तो धीमे-धीमे शहर के पेड़ पौधे जब बहुत  से कट जाएंगे तो हम सब लोग कैसे जीवित रहेंगे तब तो शुद्ध हवा बहुत कम हो जाएगी।
 पिता पुत्र को एकटक देखता रहता है आज उस छोटे से पुत्र ने पिता को एक बहुत बड़ी सीख दे दी वह निश्चय करता है कि अब वह बिल्डिंग बनाने के लिए वृक्षों की कटाई बिल्कुल नहीं  कराएगा।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम कानपुर नगर

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