# तू रुक मत चलता चल#प्रकाश कुमार मधुबनी के द्वारा शानदार रचना#

*बदलाव मंच*

स्वरचित मौलिक रचना
02/09/2020
तू रुक मत चलता चल

तू रुक मत चलते चल।
तेरा काम है बदलाव लाना
 तू विचारों से जग बदलते चल।
ऐसा है कोई कार्य जो 
तू कुछ कर नही सकता।
तू जीने के राह पर चलना सीख।
स्वयं से मंजिल तक पहुँच।।
तुझमें जो ऊर्जा है उससे 
धरा को खुशियों से सींच दे।
कोई नफरत इस पार ना झाँके
तू पहले ही प्रेम के लकीरें खिंच दे।।
तू सूरज से सीख ले जलना।
चल पहले उससे तू दोस्ती कर।।
जन्म लिया है तो उसके 
पीछे मुख्य कारण को ढूंढ।
माटी का ये काया 
गल ना जाए पड़ते बून्द।।
चल तू नभ में उड़ान भर।
तू अपना कर्म करता चल।
सदैव धर्म की जय होती
  तु उठ अब जयघोष कर।।
सदा देख अन्याय तो तू
 उसके खिलाफ आवाज उठा।
ये धरती हमारी मातृ भूमि
चल इसमें खुशियों की धारा बहा।।
तू चल थक के हार मत
 एक बार ठीक से प्रयास कर।।
आगे बढ़ना औरो को 
बढ़ाना ही लक्ष्य तेरा।
चल तू औरो में उत्साह भर।।
आसमान में सतरंगी बना दे।
फिरसे विस्व में ज्ञान जगा दे
चल तू सब में पूर्ण उत्साह भर।।
तू बैठकर स्वयं का मजाक ना उड़ा
चल उठ सतत गतिमान बन।।

प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार

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