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हटी कालिमा~
सुगन्धित पवन
छाई लालिमा
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सुहानी भोर~
इंद्रधनुषी आभा
है चहुँ ओर
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प्रातः वंदन~
मात पिता गुरू को
कोटि नमन
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प्रभात वेला~
उषा कालीन दृश्य
है अलबेला
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भौर गुँजन~
महकती कलिया
छोड़ क्रंदन
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
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