आ.निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा मधुर रचना..(जीवन)

जीवन....
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उठी तरंग~
जीवन कैनवास
अजीब रंग
ईश की माया~
गमों की कड़ी धूप
कही है छाया
कहीं है फूल~
जीवन पथ पर
कहीं है शूल
दुनिया दंग~
पाश्चात्य संस्कृति
बदला ढंग
करो प्रयास~
जीवन अनमोल
न हो उदास
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     निर्मल जैन 'नीर'
   ऋषभदेव/उदयपुर

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1 टिप्पणियाँ

  1. मनुष्य जीवन दुबारा ना मिलेगा । ईसे प्रभु नाम से सार्थक करले।
    anitamantri1971@gmail.com
    Anita mantri Amravati

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