कवयित्री योगिता चौरसिया जी द्वारा 'पुष्प' विषय पर रचना

27/9/2020
तांका 5-7-5-7-7
 विषय-पुष्प
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1.पुष्पों की शोभा
बहुत ही न्यारी हैं।
प्यारी सी आभा
बहुत लुभाती हैं।
 बाग महकाती हैं।।

 2.मोगरा पुष्प
छोटे खिलखिलाते ।
  मंद सुंगध
 उपवन फैलाते।
 जीवन महकाते।

3.तुलसी नाम
हरिप्रिया कहाती।
हृदय बसी
आंनदित करती।
कष्टों को हरती।।

4.कमल पुष्प
सरोवर खिलाते।
लक्ष्मी को भाते।
हर जन लुभाते।
माँ बीणा को सुहाते।

5.श्रद्धांजली मे
  पुष्प ही चढ़ते हैं।
  शहादत मे
 नित शीश झुकाते।
 खुद पे इठलाते।
स्वरचित/मौलिक
अप्रकाशित/सुरक्षित
योगिता चौरसिया
मंडला म.प्र.

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