चलता गहरी चाल कोरोना ,
सबका बुरा हाल कोरोना ।
शहर ,गांव , और गली गली ,
बुन गया अपना जाल कोरोना ।
कुछ लॉक डाउन के मारे है ,
कितने हो गये कंगाल कोरोना ।
राजा - रंक एक ही कतार में ,
सब के सब बदहाल कोरोना ।
डर सभी का एक ही जैसा है ,
सबसे बड़ी है मिसाल कोरोना ।
आपत्ति को सबक भी कह दो ,
पर किसी को नही मलाल कोरोना ।
जिंदगी की बिसात बिछा कर ,
खेल रहा मौत का खेल कोरोना ।
----- डॉ . जयप्रकाश नागला
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