लक्ष्मण का वनवास
लक्ष्मण का वनवास
धर्मवीर लक्ष्मण का त्याग
युगों युगों रहेगा याद
राम है हर युग के परमेश्वर
लक्ष्मण का मन निर्मल
सागर से सुंदर
चौदह वर्ष वन में रहें
पत्नी से बिछुड़कर
सेवा-त्याग की प्रतिमूर्ति
हे लक्ष्मण तुम धन्यवर
स्नेह उर्मिला का अद्भुत
रखा मन चीर सह्रदय
बह बह अंतर में अविरल
त्याग प्रेम का दिया परिचय
हे धरा के मानव लक्ष्मण
धन्य किया तुमने जीवन
भ्रात- प्रेम का अतुल्य प्रेम के
तुम बने जीवन्त उदाहरण
कहा रामचरितमानस जो ले
लक्ष्मण का नाम पल भर
राम की अनुकम्पा मिल जाती
दुख क्लेश मिट जाते हर
स्वाति'सरु'जैसलमेरिया
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