पितृ मोक्ष अमावस पर विशेष।#©@ *"सहज#

पितृ मोक्ष अमावस पर विशेष। 
कृपया अंत तक पढिये।
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मेरे शब्दों में उतरो तुम शब्द शिखर हो जायेंगे।
छू लो मेरे गीतों को तो गीत अमर हो जायेंगे।

चुन चुन कर शब्दों को उनमें भाव पिरोया करता हूँ।
नयन पटल पर चित्र तुम्हारा रख कर सोया करता हूँ। 
दिवा स्वप्न से युवा हॄदय ये डगमग किंचित होता है।
किंतु तुम्हारी पुण्य प्रीत से तनिक न विचलित होता है।

रख दो जो तुम हाथ शीष पर
भाव प्रवर हो जायेंगे।
छू लो मेरे गीतों को तुम गीत अमर हो जायेंगे।

मेरी स्मृतियों में हर पल बस तेरा रूप समाया है।
और हॄदय के मन मंदिर में गढ़कर तुम्हे बिठाया है।
तनिक कहीं पर मैं भटका तो तुमने राह दिखाई है।
मेरी राहों की हर बाधा भी तुमने दूर भगाई है।

तुम जिसके भी साथ रहो वो सदा निडर हो जायेंगे।
छू लो मेरे गीतों को तुम गीत अमर हो जायेंगे।

घोर घटायें हों चाहें या छा जाये घनघोर तिमिर।
तेरे आँचल से बढ़कर है नहीं सुरक्षित कोई शिविर।
पल पल जलकर दीपशिखा सी तुमने मुझे बचाया है।
अंधकार का किंतु विजेता दीपक ही कहलाया है।

दिव्य समर्पण से तेरे हर दीप प्रखर हो जायेंगे।
छू लो मेरे गीतों को माँ गीत अमर हो जायेंगे।

©@ *"सहज"*®,

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