हो ना कभी सत्कर्म से खाली#बाबूराम सिंह कवि जी द्वारा#

हो ना कभी सत्कर्म से खाली
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पकड़ प्यार सत्य -धर्म की डोर,
बढ़ सर्वदा प्रकाश की ओर। 
मिल बांटकर खा निज थाली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 

औरों से सदगुण सम्भाल  ,
निज का अवगुण दोष निकाल। 
मन कर्म, वचन की कर रखवाली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली  ।
वैर विरोध का नाम मिटाओ ,
आपस में सदभाव बढा़ओ। 
पर पै कभी न पीटो ताली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 

मधुर वचन सबही से बोल, 
मानव जीवन है अनमोल। 
पकड़ लो पुण्य -धर्म की डाली,
हो न कभी सत्कर्म से खाली ।
पर पीड़ा में हाथ बढा़ओ, 
जग में सुख शान्ति उपजाओ। 
विश्व बाग का बन जा माली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 

दीन -दुखिया, अबला -अनाथ, 
सबके गले लगा ले साथ  ।
जन -मानस में ला हरियाली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 
कर प्रभु में श्रध्दा विश्वास, 
मत हो जीवन में निराश। 
छोड़ पाप जंजाल ए जाली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 

द्वेष, दम्भ, पाखंड, बुराई, 
मै ,मेरा, निज स्वार्थ, बडा़ई। 
छोड़ सभी करतुतें काली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 
पढ़ अनुपम वेदों का सार, 
अपना घर -आंगन बुहार। 
नहीं पडोगे नर्क की नाली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 

हर में हरि की कर पहचान, 
सब हैं प्रभुवर की संतान। 
जला ले अन्तः ज्योति की लाली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 
हरपल सामने मृत्यु खडी़ है, 
फिर मानव तुझे कुछ न पडी़ है। 
बाबूराम कवि बात निराली, 
हो न कभी सत्कर्म से खाली। 
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✍️बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम-बडका खुटहां, पोस्ट -विजयीपुर, जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508
मो0नं0-9572105032
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