शिक्षक बारंबार।
कोई गूगल मीट पर,
कोई व्हाट्सएप आधार।
रचना तो आधार है,
महिमा का कैसे हो बखान।
कोई क्लास ले ज़ूम पर,
कोई वीडियो से करे उद्धार।
ज्ञान घर पर ही दे रहे,
शिक्षक बारंबार।
अपना धर्म निभा रहे,
बारी बारी हर एक।
घर बैठे भी बाँटते,
अपना ज्ञान विवेक।
नमन मेरा स्वीकारिए,
शिक्षक जीवन आधार।
ज्ञान घर पर ही दे रहे,
शिक्षक बारंबार।
अब तो हर गली खुले
बाईजूस से ऐप।
हो रही नबरों की खेतियाँ,
इंजीनियर डॉक्टर की खेंप।
हो प्रतिष्ठित अब नहीं,
कोई करता अदा आभार।
ज्ञान घर पर ही दे रहे,
शिक्षक बारंबार।
हम तख्ती पाटी पर पढ़े,
ले खड़िया कलम दवात।
तब गुरु पितु मात थे,
उनकी कोई जात न पात।
नए दौर की नई पद्धति,
है नव युग की शिक्षा आधार।
ज्ञान घर पर ही दे रहे,
शिक्षक बारंबार।
अनुराग बाजपेई(प्रेम)
पुत्र स्व०श्री अमरेश बाजपेई
एवं स्व०श्री मृदुला बाजपेई
बरेली (उ०प्र०)
८१२६८२२२०२
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