दिल मेंरा क्यों तोड़ चल दिये।# कवि प्रकाश कुमार मधुबनी जी द्वारा बेहतरीन रचना#


बदलाव मंच
स्वरचित रचना

गीत
दिल मेरा हाँ मेरा
 क्यों तोड़ चल दिये।
इतना तो बताते जाओ
क्यों मुँह मोड़ चल दिये।।

ख्वाबों को सजाया हमने 
बलिये जो साथ साथ।
वादे कसमें जो खाया 
हमने एक दूजे के साथ। 
उन वादों उन कसमों को 
यू जो तोड़ चल दिये।

 पल में ही जो छोड़े जाते हो।
इतना बता दो तुम।
मुँह फेर कर जो जाते हो 
इतना बता दो तुम।।
प्रेम के उन जज्बातों को 
क्यों छोड़ चल दिये।।

 इतना भी क्या है जल्दी
  ये तो बताते जाओ।
मेरे जानम रुको तो जरा
 इक नजर मिलाते जाओ।।
 ऐसे क्यों साँसों के बंधन को
पल में तोड़कर चल दिये।।

प्रकाश कुमार
मधुबनी,बिहार

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