कैसा ये चित्त में शोर है।#कवियित्री नेहाजैन जी द्वारा धमाकेदार रचना#बदलाव मंच#

कैसा ये चित्त में शोर है
मन भागता किस ओर है
क्या अब भी हमारे बीच कोई डोर है
चाहना न चाहना किसके बस की बात है
दिल का आ जाना किसी पर किस्मतों के हाथ है
सुन सके तो सुन ले
मुझे तेरी ही तलाश है
बेचैनियों का सफ़र ये तय कर रहे हैं हम
जिसमे तेरी ही पुकार हैं
आरजूओं की एक लंबी कतार है
किया मैंने तेरे नाम का श्रृंगार है
जमाने से तू निभा प्रीत अपनी
मैंने तो सिर्फ़ तुमसे किया प्यार है
आंखों के रास्ते आएं हो दिल मे
बस जाओ मेरी सांसो में महक बनकर
बहुत सुनी गैरों की तुमने
हक थोड़ा हमे भी दो 
अपनी सदाओं को बुलंद करने का
चारों तरफ मेरी तन्हाईयो का जोर है
मांगते हैं तुमसे तुम्ही को
ये कैसी  मेरी दुआओं का असर है
तू जा रहा बेखबर हैं
हम जलते हैं इधर वो रोशन है उधर
तेरी ओर मेरी हर दिशा का छोर है
ये कैसा चित्त में शोर है
मन भागता किस और है।


स्वरचित
नेहाजैन

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