*मैं* *हिन्दी हूं*
मैं हिन्दी हूं, मैं हिन्दी हूं
मैं हिन्दी हूं, मैं हिन्दी हूं।
नई पहचान दूंगी तुमको।
मेरे पंख ना कतरो,
ऊंची उड़ान दूंगी तुमको।
माना कि कम हूं विस्तार में,
मगर पीछे नहीं किसी से भर में।लक्ष्य को लांघती कमान दूंगी तुमको।/
मेरे पंख ना कतरो,
ऊंची उड़ान दूंगी तुमको।
नई अभिलाषाओं का,
आधार हूं भाषाओं का।
सच्ची दिलाशाओ का।
संसार हूं आशाओं का।
भाग में भाग्य का भरपूर परिणाम दूंगी तुमको।/
नई पहचान दूंगी तुमको।
मैं हिन्दी हूं , मैं हिन्दी हूं।
मेरे पंख ना कतरो,
ऊंची उड़ान दूंगी तुमको।
भाव अलंकार हूं, रसों का श्रृंगार हूं।
कृति का सार हूं,मात्राओं का आधार हूं।
सात सुरों का सच्चा,
शकल गान दूंगी तुमको।
मेरे पंख ना कतरो ,
ऊंची उड़ान दूंगी तुमको।/
मैं हिन्दी हूं मैं हिन्दी हूं
सत्य सदां शिवम् सुंदरम हूं,
संस्कृत की बेटी हूं,
उपसर्गों का दम हूं।
भरा भावों से भावनाओं का,
मिलान दूंगी तुमको।/
नई पहचान दूंगी तुमको।
मैं हिन्दी हूं मैं हिन्दी हूं
उर्दू, इंगलिश ,फारसी ,पंजाबी मेरी बहिनें हैं,
बोलो कुछ भी चाहे, उच्चारण मेरे ही रहने हैं।
मेरे द्वार तो खोलो,
व्याकरण की खान दूंगी तुमको।/
मेरे पंख ना कतरो ,
ऊंची उड़ान दूंगी तुमको।
मैं हिन्दी हूं मैं हिन्दी हूं
सुगम,सबल,सात्विक संयम निचोड़कर,
प्रेम मानवता दया उपकार सब जोड़कर।
गीता ,बाइबिल ,गुरु ग्रंथ
और कुरान दूंगी तुमको।/
नई पहचान दूंगी तुमको।
मैं हिन्दी हूं मैं हिन्दी हूं
कार्यालय चाहे न्यायालय सबको सरल बनाऊंगी,
विषय सभी सारे आसानी से समझाऊंगी।
गणित विज्ञान संगणक वाणिज्य परिपक्व ज्ञान दूंगी तुमको।/
मेरे पंख ना कतरो ,
ऊंची उड़ान दूंगी तुमको।
मैं हिन्दी हूं मैं हिन्दी हूं
मंजिलें कितनी भी बना लो भवन की नीव हूं मैं,
कंगुरे भी सज़ा लो गगन की प्रातिव हूं मैं।
संगम सार्थक शब्दों का
सम्पूर्ण सामान दूंगी तुमको।/
नई पहचान दूंगी तुमको
मैं हिन्दी हूं मैं हिन्दी हूं
मैं हिन्दी हूं मैं हिन्दी हूं।।
मौलिक
*एल.एस .तोमर मुरादाबाद यूपी*
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