कवयित्री गीता पाण्डेय जी द्वारा 'भगत सिंह' जी विषय पर रचना

भगत सिंह 

 28 सितंबर 1907 को जन्म लिए थे पाकिस्तान ।
भारत वासियों के दिल में इनका बड़ा है सम्मान ।।

 पंगा गांव के किशन सिंह थे इनके पिता सरदार ।
 माता विद्यावती कौर की कोख भी हो गयी उद्धार ।।

 चाचा अजीत सिंह और पिता के स्वतंत्रता सेनानी ।
 जिसका अमित प्रभाव पड़ा भगत सिंह पर सैलानी ।।

बचपन में बंदूकें बोते थे खेत और खलिहान में ।
देशभक्त पराक्रम का खून जोश भरे नौजवानों में ।।

शादी से इंकार कर खत लिख कानपुर चले  आए ।
 नौजवानों को संग्रहित कर जागरूकता खूब लाए ।।

 बालपन में कसम खाई थी देश को कुर्बानी मैं दूंगा ।
 सांसारिक मोह के भ्रम जाल में कभी नहीं मैं फसूंगा ।।

 इंकलाब जिंदाबाद , साम्राज्यवाद मुर्दाबाद अपनाएं । 
यह तो फांसी ही मुझको देंगे इनको क्या हम समझाएं ।।

 इनको भारत माता जन्मदात्री से भी प्यारी लगती थी   ।
 इनको आजाद कराने की  ही सीने में आग जलती थी ।।

राष्ट्रभावना से भरा पूरा जीवन था इनका क्रांतिकारी  ।
लाला जी की मौत पार्लियामेंट में बम  फेंकने की तैयारी ।।

 राजगुरु , सुखदेव के साथ सांडर्स को मार गिराए ।
 स्वतंत्रता सेनानियों को मिलाकर काम कराए  ।।

ब्रिटिश हुकूमत हिलाकर भी ये नहीं हुए फरार ।
अंग्रेजों से विद्रोह कर फिर स्वयं हुए ये गिरफ्तार ।।

 जेल में ही लिखें दो साल अपने जज्बात ये डायरी ।
देश के प्रति समर्पण की भावना में लिखे थे शायरी।।

 अंग्रेजों ने झूठी साजिश रच करके फसाया खेल में ।
फांसी हुई इनको 23 मार्च 1931 लाहौर की जेल में ।।

 शहीद भगत सिंह की जयंती पर शत शत नमन ।
 गीता भी सिर झुका कर करती उनका अभिनंदन ।।

शहीदे-आजम-भगतसिंह - अमर रहें 

उपप्रधानाचार्या- गीता पाण्डेय 
रायबरेली  उ०प्र०

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