कवि- आ. प्रकाश कुमार मधुबनी जी द्वारा सुंदर रचना

*स्वरचित रचना*

युवाओं को लाचार मत बनाओ।
देश को और बीमार मत बनाओ।
बहुत हुआ अब देश को बहलाना।
यू गहमागहमी का बाजार ना लगाओ।

बेरोजगारी के पथ पर सवार होकर
अब देश का मस्तक झुकने ना दो।
कमजोर करके इसके रीढ़ की हड्डी को
ओ नेताओं देश को रुकने ना दो।

वाह वाही में कही देश पीछे ना हो।
अब युवाओ का जीवन स्तर नीचे ना हो।
बड़ी उम्मीद से तुम्हे संसद में बैठाया है।
अपने पसीने बहा के तुम्हे ऐसी दिलाया है

हमारी उदारता को अब ठेस ना पहुँचाओ।
इतने बेबस बनाकर अब द्वेष ना फैलाओ।।
हम हिंद को उजियारा करना लक्ष्य हमारा।
अब हिन्द के मजदूर को मजबूर ना बनाओ।।


तमाशा बहुत किया मुखौटे पहनकर तुमने।
कितने को भिखारी बनाकर बनाया तुमने।।
अबतो शर्म करो देश के नमक हरामो।।
की
अब तो चोर का तमगा अपने ऊपर से हटाओ।।

प्रकाश कुमार मधुबनी

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