दीनदयाल उपाध्याय #प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"जी द्वारा बेहतरीन रचना#

*स्वरचित रचना*

जो अनमोल भारत को है सजाया आपने।
जो खुशियों के बीज बो चमन सजाया आपने।।
क्या होता है किसान जवान का महत्व देश में।
ये अच्छे से है लोगों को एहसास कराया आपने।।

मान विश्व में इस तिरँगे का बढ़ाने वाले
देश के विरोधियों को गूंगा बहरा बनाने वाले।
क्यों ना झुककर नमन करूँ आपको आज मैं
 भारत को नव राष्ट्रीय का राह दिखाया आपने।।

देश में जो गरीबों को भी सम्मान दिलाया।
दीनदयाल जी जो दया का है भाव दिखाया।।
नहीं कहता कुछ भी तो सकता हूँ मैं भला।
किन्तु क्या कहूँ भटके राह दिखाया है आपने।।

आपके कर्म पथ पर चलना आसान नहीं।
वास्तविक रूप में मैं तो केवल एक पथिक हूँ 
मुझको आप जैसा इतना समझ ज्ञान नहीं।
किन्तु आज ना होकर भी राह दिखाया आपने।।

अंगारे बरसे किंतु चलना ना छोड़ूँगा।
हे !जनवादी इस अखंडता को ना तोड़ूंगा।।
कहूँ भला ज्यादा क्या मैं आपसे यू तो।
कर्ज ना उतरेगा हमसे योगदान दे 
इंडिया को भारत बनाने वाले।

प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"

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