कवि डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा 'बेटी' विषय पर रचना

सादर समीक्षार्थ
नज़्म


 बेटी सिर्फ एक नन्ही जान नहीं 
मेरे जीवन की अनोखी पहचान है 
मेरी तो जान ही बसती है उसमें 
मेरा अभिमान और सम्मान है बेटी..।।

 मेरी खामोशियों को पहचान लेती है वो
 मेरे दिल की बात भी जान लेती है वो
कभी कोई शिकवा ना गिला है करती 
मेरी आत्मा की एक आवाज है वो..।।

 मंदिर की देवी हीआ गई मेरे घर में 
खुशियों की बरसात हुई मेरे घर में 
कैसे कह दूं पराया धन मैं उसको
 ईश्वर से मांग कर लाया हूँ उसको..।।

 खुश नसीब होते हैं जिनके होती बेटी
 बेटों से कमतर कभी होती नहीं बेटी
 हर जन्म में मिले मुझे ऐसी ही बेटी
 या खुदा मेरी तो यही आरजू है..।।


डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ