कवयित्री :- आदरणीय शशिलता पाण्डेय जी द्वारा रचित खूबसूरत रचना....

🙏नमन राष्ट्रकवि🙏
❤️रामधारी सिंह दिनकरजी❤️
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23 सितंबर 1908 को,
जन्मे भारतभूमि में।
बिहार के मुंगेर जिले में जन्म लेकर,
 गगन में  साहित्य जगत के ।
बनकर स्वर्णिम चमके दिनकर,
अपना कृतार्थ किया था नामधारी।
वो थे रामधारी सिंह दिनकर,
ओत-प्रोत थे राष्ट्रवाद से।
उन्होंने वीर-रस की हुंकार भरी,
 सर्वप्रथम रचना की रेणुका की।
जो एक वीर-रस का काव्य-संग्रह, 
 रचनाओं में थी प्रज्वलित।
स्वतंत्रता के क्रांति की चिंगारी,
 वीर-रस का राष्ट्रकवि ने सृजन कर।
 रामधारी दिनकर बने महान क्रांतिकारी,
 उनकी अनुपम कृति रसवंती,
उर्वशी,श्रृंगाररसके रस्वादन से भरी।
कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी ने भरी हुंकार,
 वीररस की अनुपम चित्रणकारी से।
 राष्ट्रवादऔर देशभक्ति-भावना से प्रेरित,
उनकी उत्साह बढ़ाती रचनाएँ।
 जन-जन के परवान चढ़ी,
पद्मभूषण से हुए अलंकृत।
 राष्ट्रकवि बने रामधारी सिंह दिनकर,
क्रांति का  किया उद्घोष डटकर।
मगर बन गए गांधीवादी,
भारत के स्वतंत्रता के।
 आंदोलन में बने आंदोलनकारी,
सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक।
 कवियों में दिनकरजी छायावादी,
 करके तत्कालीन ब्रिटिश।
व्यवस्था का सामाजिक चित्रण,
अपने गध्द-पध्द मे।
 सत्यता से सृजन किया,
करके राष्ट्रीय जनचेतना को जागृत।
 जन-जन मे किया जागरण,
बने राज्यसभा के सांसद ।
 जब प्रथम बना  आजाद भारत,
"संस्कृति के चार अध्याय" लिखकर।
 पाया साहित्य अकादमी पुरस्कार,
ज्ञानपीठ पुरस्कार से हुए अलंकृत।
आजाद भारत के बने राज्यसभा सांसद,
 सहित्यसम्मान से हुए सुसज्जित।
24 अप्रैल 1974 को राष्ट्रकवि महान,
देकर अलग साहित्यिक पहचान देश को।
 धरा को छोड़ पंचतत्व में हुए विलीन,
 एक काव्यकार,निबंधकार और चिकित्सक की।
 साहित्य जगत के हृदयपटल पर किया,
 अमिट, अमर, साहित्यिक छवि समाहित।

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 स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री :-शशिलता पाण्डेय

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