*हिंदी*
आदि अगम आराधना है हिंदी।
सशक्त सकल साधना है हिंदी।
हिंदी में हिमालय
हिंदी में हैं नदियां।
प्रवाह में हिंदी के
सागर बनीं हैं सदियां।
आधार आशाओं का
नयी अभिलाषाओं का।
भाषाओं के भूत भविष्य की
प्रस्तावना है हिन्दी।।
अलंकार, रस, छंद
मात्राओं के आबंध।
गद्य पद्य रिपोर्ताज निबंध
दोहा कहानी गीत प्रबंध।
भ्रमर भावों की ग़ज़ल
कविता हृदय की प्रबल।
असम्भावित सम्भावनाओं की
सम्भावना है हिन्दी।।
समान लिखने और बोलने में
सुगम गांठ हृदय की खोलने में।
सुसंस्कृत सुचित सचेतना ये
सबल सुरिती प्रबल लेखना ये।
विपरीत कूरीत कुरुचार की
गराजना है हिन्दी।।
आंखों में आसूं नहीं
होठों पे हंसी बनती है।
अंग्रेजी हो और अरबी
हिंदी सामने जब तनती है।
सरस्वती और लक्ष्मी का द्वार
साहस समर्थ है यही परोपकार।
सेवा शुद्ध समर्थ
द्वेष नहीं किसी से व्यर्थ।
हिंदी हिन्दू हिन्दुस्तान की
हिम सि नेह भावना है हिन्दी।
मौलिक
एल एस तोमर मुरादाबाद यूपी ,,( हिम सि नेह जय ब पा)
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