*जिंदगी का सफर कठिन है मगर.!!*
*कहीं मिलेगी जिंदगी में प्रशंसा तो*,
*कहीं नाराजगियों का बहाव मिलेगा*
*तू चलाचल राही अपने कर्म पथ पे*,
*जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा*
*"अगर" आपका "जमीर" और "नियत" साफ हैं "तो" इस बात से कोई "फर्क नहीं" पड़ता कि "कोई" आपको "अच्छा" कहे या "बुरा"*
*आप अपनी "नियत" से "जाने" जाएंगे, "दूसरो" की "सोच" से "नहीं"।*
*पग- पग पर कांटे बिछे*
*चलना हमें पड़ेगा,*
*कठिन इस दौर में*
*हमको संभलना पड़ेगा।*
*दूर रहकर भी अपनो से*
*उनके करीब पहुंचना पड़ेगा,*
*और जीवन के लक्ष्य को*
*हमें हासिल करना पड़ेगा।*
*जो चलते है कांटो पर*
*मंजिल उन्हें ही मिलती है।*
*भले ही कांटो पर चलकर*
*छाले पावों में पड गए है,*
*और दर्द सहते हुए भी*
*आगे बढ़ते गये है।*
*लक्ष्य की खातिर*
*सब कुछ सह गये है,*
*इसलिए हम जीवन की*
*ऊंचाइयों को छू गए है।*
*लेकिन साथियों...*
*जिन्दगी एक किताब है इसे फटने मत देना,*
*जिन्दगी रेशम की डोर है इसे कटने मत देना।*
*"अच्छाई-बुराई " "इंसान" के "कर्मो" में होती है...*
*कोई "बांस" का "तीर" बनाकर किसी को "घायल" करता है,*
*तो कोई "बांसुरी" बनाकर बांस में "सुरों " को भरता है।*
*सुकर्मो से ही हमें यह जिन्दगी मिली है, बनाओ इसे सफल,*
*अच्छे कर्म करने से कभी पिछे मत हटना।*
*जीवन में तीन चीज़ें ऐसी हैं, जिनका बहुत ध्यान रखना चाहिए: समय, स्वास्थ्य और सम्बंध। ये एक बार बिगड़ जाएँ तो इन्हें संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है।*
*ज़िन्दगी मे जो भी हासिल करना है,* *उसे वक्त पर हासिल करो.!!*
*क्योंकि...*
*ज़िन्दगी मौके कम और...*
*अफसोस ज्यादा देती* *है.!!*
*क्या खूब लिखा है किसी शायर ने:*
*लाख दलदल हो,*
*पांव जमाए रखिये;*
*हाथ खाली ही सही,*
*ऊपर उठाये रखिये;*
*कौन कहता है छलनी में,*
*पानी रुक नहीं सकता;*
*बर्फ बनने तक,*
*हौसला बनाये रखिये।*
"चलते रहो *कदम दर कदम* दोस्तों,
*किनारा* जरुर मिलेगा !!
*अन्धकार* से लड़ते रहो,
*सवेरा* जरुर खिलेगा !!
जब ठान लिया *मंजिल* पर जाना,
तो *रास्ता* जरुर मिलेगा !!
*एक बेहतरीन व सुखी जिंदगी जीने के लिए यह स्वीकार करना जरुरी है कि जो कुछ भी हमारे पास है वो ही सबसे अच्छा व प्रर्याप्त है।*
*इन्हीं विचारों के साथ...*
*कहता है "प्रकाश"✍*
*जिन्दगी के सारे रास्ते सीधे हैं,*
*मुश्किल तो उन्हें होती है...*
*जिनकी चाल ही तिरछी है..!!!*
*अतः जिंदगी आसान बनाइये...*
*कुछ अंदाज से कुछ नजर अंदाज से.!!*
-डॉ.प्रकाश मेहता
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