कवयित्री-शशिलता पाण्डेय जी द्वारा रचना (विषय-गुरु की सिख)

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🙏गुरु की सिख🙏

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प्रथम गुरु की अनमोल सिख,
जीवन भर जीना निर्भीक।
सत्य,आचार व्यवहार सदाचार,
जीवन के यही मूलाधार।
गुरु बिना हर ज्ञान अधूरा,
जब तक श्रेष्ठ गुरु करे न पूरा।
शिष्य गुरु का होता दर्पण,
अर्जित हर ज्ञान गुरुजी करते अर्पण।
गहन तिमिर अज्ञानता का मिटाते,
ज्ञान दीप से जीवनपथ को सुगम बनाते।
गुरु करते जीवन का मार्ग प्रशस्त ,
ज्ञान का सूरज कभी ना होता अस्त।
 गुरु सिखाते जीवन का सम्मान ,
हृदय में जगाते एक स्वाभिमान।
 गुरुज्ञान पर जगत का टिका भविष्य,
 निर्मित ज्ञान-गुरु से स्वर्णिम अस्तित्व।
जीवन की हर बाधा का डटकर सामना,
 शिक्षा की तलवार और साहस की भावना।
यही गुरु ज्ञान की सशक्त हथियार,
जीवन में दूर करते अज्ञानता का अंधकार।
अपने गुरु होते जीवन के भाग्य विधाता,
सबके उज्ज्वल भविष्य चरित्र निर्माता।
माता-पिता से बढ़कर जीवन मे गुरुज्ञान,
होता नही जीवन मे कभी अपमान।
जीवन कीअज्ञानता का कीचड़ पार कराते,
शिष्य हृदय में ज्ञान का सागर लहराते।
गुरुज्ञान से देश के भावी कर्णधार बने महान,
गुरु ज्ञान कराते सही दिशा की पहचान।
पशुता को मानवता में करते परिवर्तित,
हृदय में करते ज्ञान की ज्वाला प्रज्वलित।
गुरु कराते मानव को ज्ञान से अलंकृत,
 हृदय होता ज्ञान की लौ से निरंतर प्रकाशित।
 ज्ञान द्वारा पत्थर को तराश हीरा करते निर्माण,
 इसी लिए तो गुरु सारे जग में महान।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री-शशिलता पाण्डेय

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