कवयित्री- आ. चंचल हरेंद्र वशिष्ट जी द्वारा प्यारी रचना

१४ सितम्बर: हिन्दी दिवस पर हिन्दी भाषा को समर्पित मेरे भाव :
   शीर्षक  ' हिन्दी का गौरव गान '
हमारा प्यारा देश हिन्दुस्तान ,हिन्दी भाषा है इसकी शान
फिर क्यूं कर सह जाते हम,हिन्दी भाषा का  अपमान
सिर्फ सप्ताह,पखवाड़े में ही करते सब इसका गुणगान
वर्ष पर्यन्त भूले रहते सब,न लेते हिन्दी भाषा का नाम
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र कह गए, निज भाषा का गौरव गान
हिन्दी लेखक,कवियों से ही,ऊँची है हिन्दी भाषा की शान
संस्कृत है इसकी आदि जननी,कहते हैं सब वेद पुराण
ये वतन हमारा कहलाया हिन्दी भाषा से ही  हिंदुस्तान
क्यूं गर्व नहीं होता हमको,जो हिन्दी भाषा का हो हमें ज्ञान
अंग्रेज़ी सीख सीख कर हम खुद को समझते अति महान
नहीं दोष कोई जो हो हमको अन्य भाषाओं का भी ज्ञान
पर निजभाषा हो सर्वोपरि,जननी,जन्मभूमि समान
हिन्दी भाषा को यदि हम ही न देंगे यथोचित सम्मान
कैसे बनी रहेगी विश्व में हमारे भारत की इक पहचान
भारतीय संस्कृति का रहा है अब तक चहुँदिस यश गान
आज विदेशी भी कर रहे ,भारत के वैभव का गुणगान
हिन्दी दिवस मनाएं प्रतिवर्ष,पर हो ये प्रतिदिन की ज़बान
सदा हर भारतीय मुख पर सजे हिन्दी भाषा की मुस्कान
माता,मातृ भूमि एवं मातृ भाषा,इनका सदैव कीजिए सम्मान
इनका ऋण कभी उतर सके ना, इन्हें कोटि कोटि प्रणाम!
वंदन और अभिनन्दन ,कोटि कोटि कर बद्ध प्रणाम!
स्वरचित एवं मौलिक रचना:
चंचल हरेंद्र वशिष्ट,हिन्दी भाषा शिक्षिका, रंगकर्मी एवं कवयित्री
आर के पुरम,नई दिल्ली
14/09/2020

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