कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा 'नारीशक्ति' विषय पर रचना

नमन बदलाव राष्ट्रीय,अन्तरराष्ट्रीय मंच
साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय-नारीशक्ति /नवरात्र
दिनांक:-19/10/2020
दिवस:-सोमवार
विधा:-काव्य
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     नारीशक्ति
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जग को जीवन देनेवाली,
तुम्ही चंडी  दुर्गा काली हो!
सारी सृष्टि का सृजन तुम्हीं हो,
अभिर्भाव हो इस भू-मंडल का!
सारी प्रकृति का निर्माण हो तुम,
सृष्टि को तुम्हे बचाना ही होगा!
असुरों का सम्पूर्ण सर्वनाश कर,
आतंक धरा से तुझे मिटाना होगा!
हे माता!जगज्जननी इस संसार की,
रक्षा कर ब्रह्मांड बचाना होगा।
तेरे अंश को जिसने किया विध्वंस,
उसका फिर मूल्य चुकाना ही होगा!
करना होगा नव-निर्माण सृष्टि का,
दुर्गा, चंडी बन रक्षा को आना ही होगा,,,,!
त्रिशूल,कटार,तलवार उठाना होगा।
 इस धरा का अभिमान हो तुम,
इस धरा का जीवन फिर से लौटाना होगा,,,!
जो कृत्य किया नीच मनुज ने,
उसका फल उसे भोगना होगा!
तेरे अस्तित्व से छेड़छाड करनें का,
 दंड बड़ा ही दुष्कर होगा!
मानव-जीवन की इस परंपरा कों
अब तुम्हें बचाना ही होगा!
इस दुनियाँ में तुम्हें दुर्गा काली का रूप, 
जगाने मातेश्वरी बन आना होगा,,,,,!
जग को जीवन देनेवाली
नारी रूप में ही हथियार उठाना होगा ,,,,,!
बिन राधा के कृष्ण है आधा,
सीता के बिन नही राम कहीँ,,,,,,!
नारी के अस्तित्व केबिना कही,
किसी पुरुष का कोई नाम नही!
 फिर कोई कहता ये कैसे?
नारी तू अबला है,,,,,,!
जग को जीवन देने वाली,
कमजोर नही तू सबला है।
इस धरा का सुन्दर पुष्प हो तुम,
खिलकर धरती पर लहलहाना ही होगा!
अपने मातृत्व की रक्षा में,
अपनी शक्ति को बतलाना होगा!
अपने स्त्री स्वरूप को असुर प्रहार से,
मुक्ति का मार्ग दिलाना होगा!
नरपिशाच के कुत्सित कलुषित विचारों,
 का अत्याचार तुम्हे मिटाना होगा!
सुन्दर सृष्टि का अतुलनीय रूप हो तुम,
उस सुंदर सी आभा को बचाना तो होगा!
इस धरती का अस्तित्व बचाने माँ दुर्गा बन,
 चंडी अवतार जगाना होगा!
 महिषासुर मर्दिनि के स्वरूप में,
अपनी प्रतिछाया बेटी रूप बचाना होगा।
असुर मानव के पीड़ित प्रभाव से रक्षा को,
नारीशक्ति को लौह बनाना होगा!
कोमल नही पाषाण बनकर ,
अब हथियार तुम्हे उठाना होगा!
 तुम दुर्गा हो! तुम काली हो!
 जग को जीवन देनेवाली हो!
 जीवन की सुन्दर बगिया में नयें,
 फूल खिलाने वाली हो!
 सारी सृष्टि का आधार और शक्ति, 
करनी ही होगी सारे जग को तेरी भक्ति!
प्रकृति की शक्ति निहित है तुममें,
मिलकर सबको करनी होगी ये विनती!
सृष्टि का संरक्षण  और सृजन करनें ,
 इस दुनियाँ में तुझकों आना ही होगा!
नारी का अस्तित्व बचाने को,
 रक्षा कवच बन धरती पर रूप जगाना होगा!
नारी के अस्तित्व को मिटने से पहले,
,नव-सृजन करके संसार बचाना ही होगा,,!
नारी तू नारायणी,तू ही जगतनिर्मात्री,
माँ दुर्गा की शक्ति लेकर धरती पर आना होगा!
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 स्वरचित और मौलिक
  सर्वाधिकार सुरक्षित  
रचनाकारा:- शशिलता पाण्डेय             
बलिया(उत्तर प्रदेश)

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