कवयित्री अनिता ईश्वरदयाल मंत्री जी द्वारा रचना “नारी शक्ति व नवरात्र विशेष"

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता"
नारी शक्ति और नवरात्र विशेष
विधा : दोहे

नारी तेरे रूप अनेक

नारी तेरे रूप अनेक कैसे करु बखान । 
   हर रूप में बसत हैं सकल गुणों की खान ।।
नारी अब अबला नहीं हैं अब शक्तिमान ।
 उसकी शक्ति के सामने झुकता सकल जहान ।।
जिसकी कोख से जन्म लिया वह हैं मेरी मात ।
  पाल पोष कर बडा किया दिन देखा नहीं रात ।।
रक्षा सूत्र हैं जगत में आभूषण अनमोल ।
भाई-बहन के प्रेम को अपने हिय में तोल ।।
 घर तज कर मैं आई  हूँ लेकर मन में आस ।
  माँ से बढकर मिल गयी मुझको मेरी सास ।।
परिवार विद्यालय है यही  नारी उसकी जान ।
 संतति को मिलता सांसारिक ज्ञान ।।
चंद्रतल पर चढ़कर सबको कर दिया दंग ।
  एवरेस्ट फतह कर बजा दिया हैं चंग ।।
नारी के बिन नर का जीवन अधूरा जान ।
 नारी से हीं जगत में मिलती हैं पहचान ।।
संग हाथ मे ढाल हैं दूजे में समशीर ।
बनकर के मर्दानी वो चल पडी कशमीर ।।
नारी  से ही संवरते सबके बिगडे काज।
 नारी तेरे हाथ में देश धर्म की लाज ।।
नारी की प्रताडना का मत कर तू उपहास ।
 तुलसी कालिदास ने रच दिया इतिहास ।।
भारत की नारी को भारत माता तू जान ।
सदा बढ़ाओ  समाज में इसका मान सम्मान ।।
          
अनिता ईश्वरदयाल मंत्री        अमरावती                                                     

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