कवि नारायण प्रसाद जी द्वारा 'समय' विषय पर रचना

बदलाव मंच अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय
शीर्षक-समय

न जाने क्यों लोग एक-दूसरे को कोसते है।
एक-दूसरे को नीचा दिखाने की सोचते है।

बस तो नहीं है, किसी का बेर(समय) में ।
फिर क्यों? करते है लोग भेद, अपने और गैर में।

आखिर मिलना ही है एक दिन, मिट्टी की ढेर में।
अरे!चार कदम ही सही चलो जी अपने पैर में।

कभी निकलो तो दुनिया की सैर में।
व्यर्थ समय नष्ट मत करो जी बैर में।

दो पल ही सही, लग जाओ लोगों की खैर में।
शीध्र तो नही, पर फल मिलेगा जरूर देर में।

कुछ न होगा हासिल आपको, अहम के फेर में ।
बनो शिष्टाचारी न फँसो बुरे संगत के अंधेर में।।

नारायण प्रसाद
ग्राम - आगेसरा(अरकार)
जिला-दुर्ग छत्तीसगढ़
(स्वरचित एवं मौलिक रचना)

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