सतीश लाखोटिया #नागपुर, महाराष्ट्र#

*माँ स्कन्दमाता*
*स्क*   स्वरुप आपका यह निराला
        क्या क्या बताऊँ दुखड़ा हमारा
*न्द*    नही मान रहे 
      अनैतिकता के पथ पर चलनेवाले 
     दया, धर्म से जोडो सबका नाता 
*मा*    माया मोह में जकडा इंसान
  *ता*   ताकीद दो इन्हे
          न करे अनीति के काम
        इंसानियत ही 
       सबसे बड़ा धर्म हमारा 
       
    
   सतीश लाखोटिया
      नागपुर, महाराष्ट्र

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