कवयित्री स्वेता कुमारी जी द्वारा रचना “नारी शक्ति एवं नवरात्रि"

बदलाव मंच को नमन
बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक - 19/10/2020
विषय- नारी शक्ति एवं नवरात्रि
विधा- पद्य

नारी शक्ति एवं नवरात्रि

नारी ही शक्ति है,नारी से ही है संसार,
नारी ही आदि शक्ति है,नारी से ही है जीवन का सार।
नारी ही माँ दुर्गा है, नारी से ही है सृष्टि का विस्तार,
नारी से ही है नर का जीवन साकार, नारी की शक्ति है अपम्पार।
नारी ही शक्ति है,नारी से ही है संसार।।


नारी ही सीता है,नारी ही है काली,
नारी ही कोमल है, नारी  ही है कठोर।
नारी ही है प्रेम का दूसरा नाम,नारी में ही है जीवन आत्मसार।
नारी ही शक्ति है, नारी से ही है संसार।।


नारी ही जग जननी है,नारी ही है अराधना,
नारी के हर रूप में ही है ममता की छाया।
नारी के हर शक्ति का स्वरूप ही है नवराता,
नारी ही शक्ति है, नारी से ही है विश्व स्वरूपा।।


नारी ही कोमल निर्मला है,नारी ही है वरदान,
नारी ही सहनशील की देवी है, नारी ही है चंडी महाकाल।
मत कर अपमान ऐ मूर्ख इस नारी का,
जिसने किया तुम्हारा जीवन उद्धार।
नारी ही शक्ति है, नारी से ही है संसार।।


स्वेता कुमारी
धुर्वा, रांची
झारखंड।

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