नीलम डिमरी जी द्वारा बिषय राहों में फूल पर बेहतरीन रचना#

राहों  में फूल...
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राहों में फूल~
ले लो मात-पिता की
चरण-धूल
करो न भूल~
विपरीत हालात
राहों में शूल
बत्ती है गुल~
यदि बिगड़ी बात
दिया है तूल
प्रेम है मूल~
नफ़रत की खाई
बन जा पुल
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
(राजस्थान)
[20/10, 15:09] रूपा व्यास बदलाव मंच: सादर नमन मंच

दिनांक--२०/१०/२०२०
दिवस --मंगलवार
विषय --दर्शन दो मांँ
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दर्शन दे दो मांँ,
अखियां प्यासी हैं।
राह निहारूं तेरी दिन-रात,
यह बेटी भारतवासी है।

दुष्टों का संहार करो मांँ,
जो नजरों के दुश्मन हैं।
कटार दे दो मां हाथ में मेरे,
जगत जननी तेरा वर्णन है।

इस बेटी की सुध लो माता,
तेरे हाथों में है नैया मेरी।
करे यह बेटी यही पुकार,
अब सुन ले मांँ विनती मेरी।

इस बेटी को दुखियारी ना बनाना,
तप और त्याग का आशीष देना।
आत्मिक शक्ति भर दे मुझ में,
अत्याचारों को नष्ट कर देना।

  स्वरचित-- नीलम डिमरी
     चमोली ,,,उत्तराखंड

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