कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना ”कलाम"

बदलाव अंतर्राष्ट्रीय मंच को नमन
बदलाव मंच साहित्यिक प्रतियोगिता
विषय - अब्दुल कलाम
दिनांक -13 अक्टूबर 2020
विधा -पद्य

शीर्षक - कलाम

हे देश के अमरदीप है तुम्हें शत-शत सलाम
संपूर्ण विश्व करता है तुम्हें शत-शत प्रणाम

जीवन में कर गए अद्वैत कमाल
 आप कलाम
लक्ष्य से पहले नहीं रुके कभी 
आप कलाम
अनगिनत किए प्रयोग सफलता
 पाई आपने
लिख गए देशहित नव आलोकिक
आप कलाम

हुआ जन्म पावन रामेश्वर शहर
 धरा पर
ली अंतिम सांस आपने शिलांग
 धरा पर
अबुल पारिकर जैनुल अब्दुल कलाम 
हे देश के अमरदीप है तुम्हें
शत शत प्रणाम

आप कभी झुके नहीं रुके नहीं
रही नजर लक्ष्य पर
दिए देश को उपहार अनूठे
रही नजर भविष्य पर
आपका सपना सच हो देखो 
कहते आप कलाम
हे देश के अमरदीप है तुम्हें
शत शत प्रणाम

हुए गौरवान्वित भारत रत्न ,
पदम भूषण 
मिले सम्मान आपको
हूवर पदम, पदम विभूषण
अग्नि की उड़ान, इंडिया आदि
लिख गए आप कलाम
हे देश के अमरदीप है तुम्हें
शत शत प्रणाम

अनुपम चौतिस लिखे ग्रंथ 
थे ज्ञान के सागर
आप शब्द शब्द लिख गए मंत्र
सिंधु भर गए गागर
जीवन धन्य हो जाएगा
पढ़ लें पांच कलाम
हे देश के अमरदीप है तुम्हें
शत शत प्रणाम

श्रेष्ठता सतत प्रक्रिया है
कोई नहीं हादसा
माणिक जीवन मुश्किल खोज है
कुछ नहीं सहसा
स्मृति में रहना हो तो करो त्याग
कह गए कलाम
हे देश के अमरदीप है तुम्हें 
शत शत प्रणाम
----------------------------------------
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
         भास्कर सिंह माणिक,कोंच
              (ओज कवि एवं समीक्षक)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ