कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा रचना “राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी"

नमन बदलाव मंच
गांधी
🙏राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी🙏
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2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में,
महात्मा गांधी का जन्म हुआ था।
करमचंद गाँधी और पुतलीबाई के 
वो  देशभक्त -आज्ञाकारी लाल थे।
बने सत्य के पुजारी गाँधीजी अहिंसात्मक,
आंदोलन की अनूठी मिसाल थे।
लेकर सत्याग्रह आंदोलन की मशाल
,ब्रिटिश हुकूमत को डरा दिया था।
थी  काया दुबली-पतली सी,
अहिंसा को हथियार बनाया था।
फूंक आजादी की क्रांति का बिगुल,
अंगेजो की नींद उड़ाई थी।
कर विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार
विदेशी वस्त्रों की  होली जलाई थी ।
अपने देश को मुक्त किया था,
ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार से।
आजादी का हर युद्ध लड़ा था,
अपने आदर्श अहिंसा की तलवार से।
असहयोग आंदोलन,दांडी यात्रा,
ये सब उनके आदर्शों के हथियार थे।
अपने  नरमदल आजादी के दीवानों की,
एक मजबूत आदर्शो की  ढाल थे।
अपने राष्ट्रपिता गाँधी बाबा कमाल थे।
नेतृत्व किया सत्याग्रह आंदोलन का,
साबरमती आश्रम के वे संत बेमिसाल थे।
अंग्रेजों ने की जलियांवाला बाग में गोलीबारी,
खून की होली औरअत्याचारों से दहलाया था।
पर गाँधीजी ने अहिंसा नही छोड़ी,
संयम और शांति का पाठ पढ़ाया था।
अंगेजो को देश छुड़ाने का,
अलग प्रतिकार अपनाया था।
एक अद्भुत मंत्र बताकर देश को,
"अंगेजो भारत छोड़ो" का नारा लगाया था।
जब हिंसा पर पड़ी अहिँसा भारी,
ब्रिटिश हुकूमत अपने अत्याचारों से हारी।
करना पड़ा था उनको देश छोड़ने का,
अपना एक कठोर निश्चित फरमान जारी।
त्याग दिया वस्त्र विदेशी  गाँधीजी ने,
अपनी देशी खादी को अपनाया था।
खादी के उत्पादन में चरखे का,
अलग एक महत्व बताया था।
तोड़ा जब नमक कानून बापू ने
बुरी तरह अंग्रेजो को धूल चटाया था।
कर दांडी यात्रा नर-नारी का,
एक सशक्त समर्थन पाया था।
देश के आजादी की खातिर,
वरसो-बरस जेल में दिन बिताया था,
देश को ब्रिटिश के विभत्स,
अत्याचारों  से मुक्त कराया था।
असयोग-आंदोलन करके,
स्वतंत्रता का अलख जगाया था।
अंग्रेजो से अंहिसा के हथियार,
से लड़ने का दमखम दिखाया था।
सादा जीवन उच्च विचार का,
एक सुंदर शालीन पाठ पढ़ाया था।
विदेशी छोड़ स्वदेशी समान,
अपनाना सबको सिखाया था।
सूती वस्त्र और स्वदेशी उत्पादन में,
आत्मसम्मान का महत्व बताया था ।
हिन्दू-मुस्लिम एकता के फेर मे,
गाँधीजी नेअपनी जान गवाई थी।
एक अहिंसा के वास्ते हिंसा का ,
अपने ही लोगो के वे शिकार हुए।
कट्टर हिंदूवादी नाथूराम को,
अंग्रेजो के गलतफहमी समाई थी,
मंदिर में पूजा- ध्यान में थे बापू,
अचानक सीने में गोली चलाई थी।
हे राम! कहकर गाँधीजी बापू,
इस कपटी दुनियाँ को छोड़ गए।
कर्मो से अपने राष्ट्रपिता बन, 
अपने को सारी दुनियाँ से जोड़ गए।
आज हम महात्मा गांधी जयंती,
2 अक्टूबर को हर बार मनाते है।
राष्ट्रपिता गाँधीजी के त्याग को,
सारे देशवासियों को याद दिलाते है।
हम सब मिलकर रघुपति राघव राजा राम,
का गाँधीजी का भजन गाते है।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री-शशिलता पाण्डेय
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