कवि कृष्णा सेंदल तेजस्वी प्रचण्ड जी द्वारा रचना "डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम"

बदलाव अंतरराष्ट्रीय-रा
दिनाँक-१३-१०-२०२०
विषय-ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
शीर्षक-" कलाम रामेश्वरमधाम "


*विषय:- डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम*



जिसने अपने बचपन को अभावों ने नित्य पाला है।
उनके लिए भूखे को रोटी व आसमान छतवाला है।।
ग़ुरबत की क्या दशा होती है मन मार तन उभरा है।
वे नन्हे साइकिल से चलकर विचारों को उचारा है।।
जिनकी यश कीर्ति आजाद भारत में चार धाम रहे।
हंसता खेलता भारत जय जय अब्दुल कलाम रहे ।।

जो करता नमाज़ अदा मन मे गीता को धारा था।
विज्ञान कला में निपुण अनुसंधान ने पुकारा था।।
जो रुका नही आँधी ओर तूफान में चलता रहा सदा।
ग़ुरबत की तिमिर निशा में दीप सा जलता रहा सदा।।
गीता को संग रख मन को उत्प्रेरित करता परिधाम रहे।
हंसता खेलता भारत जय जय अब्दुल कलाम रहे ।।

परिश्रम की नव कथा का शिखर इतिहास लिखा।
जैसे दशरत माँझी ने पहाड़ तोड़ इतिहास लिखा।।
जो परमाणु मिशाइल की अगवाई करते रहें सदा।
इतिहास अमर है मिसाइल मैन उन्हें हम कहें सदा।।
इस धरती से उस अम्बर तक एक ही अमर नाम रहे।
हंसता खेलता भारत जय जय अब्दुल कलाम रहे।।

निर्धनता की दहलीज से राष्ट्रपति का सिंहासन मिला।
कितने सपने सच किये तब  मन कमल  तन  खिला।।
भारत रत्न से विभूषित हो भारत माँ का मान बढ़ाया।
जब से जागा राष्ट्रवाद तो तिल तिल कर पुष्प चढ़ाया।।
जब तक धरा पर सूरज चँदा चमकते सुबह शाम रहे।
हंसता  खेलता  भारत जय जय अब्दुल कलाम रहे।।

अमर वाक्य सपानो का सबके हृदया समा गए कलाम।
शक्तिशाली भारत है ये दुनिया को समझा गए कलाम।।
पोखरण के रण में कौशलता दिखालाई ऐसी मन ठानी।
शक्तिशाली  भारत  देश  बना अमिट कर दी निशानी।।
जैसे  जुग - जुग से जगाता  सबको  रामेश्वर धाम रहे।
हंसता  खेलता  भारत  जय - जय अब्दुल कलाम रहे।।


कवि कृष्णा सेंदल तेजस्वी प्रचण्ड

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