कवयित्री इंजी शालिनी जैन चितलांगिया जी द्वारा रचना

◆मेरे सपनों की दुनिया◆

मेरे सपनों की हसीन दुनिया कितनी खूबसूरत है.....

जहां इंसान ,जीव-जंतु ,परिंदों, प्रकृति सबको एक-दूसरे की समान जरूरत है...

हर एक की दुख तकलीफ से एक-दूसरे को भी दर्द होता है...

दया,वात्सल्य, प्रेम ,सच्चाई ,इंसानियत का ही दीपक प्रज्वलित होता है...

छल कपट दिखावे से दूर रिश्ते मन की गहराइयों से निभाए जाते हैं.....

 गौमाता पूजनीय होती है और "अतिथि देवो भव :"कहलाते हैं .....

नन्हे परिंदों का आशियाना तोड़ कर अपना घरौंदा कोई नहीं बनाता है...

माता-पिता बेटे के पास नहीं बल्कि बेटा माता-पिता के पास रहना चाहता है....

आईने की आवश्यकता नहीं सच्ची आंखें ही मन का आईना हुआ करती है .....

हर घर परिवार में बिटिया रानी की भी किलकारी गूंजी हर मां की यह कामना पूरी हुआ करती है ....

यहां हर कोई कल मैं नहीं बल्कि आज में जीवन जिया करता है .....

"अहिंसा परमो धर्मा" और "जियो और जीने दो" की भावना को ही आत्मसात किया करता है .......

घरों में बना भोजन गरीबों,  और पशु-पक्षियों को भी दिया जाता है.....

 देशप्रेम ,भाईचारा ,एकता का परिचय "वसुधैव कुटुंबकम" के रूप में दिया जाता है .....

"अहम" नहीं यहां "हम" ,प्रेम, अपनापन और मानवता ही सर्वोपरि है......

 परिवार ,परिवेश, समाज ,देश सबसे ऊपर इनसे जुड़े कर्तव्य और जिम्मेदारी है ......

तो बताइए क्या आप सब मेरी सुनहरी सपने की दुनिया का हिस्सा बनेंगे ?.....

 अगर हां तो वादा कीजिए कि दूसरों के सुधार से पहले अपना सुधार करेंगे ........

मेरा मन हर रात से  हर सुबह तक यही सपना संजोया करता है.......

 क्योंकि मैंने सुना है सुबह का देखा सपना सच हुआ करता है..........


नाम -इंजी शालिनी जैन चितलांगिया
स्थान- राजनांदगांव
           छत्तीसगढ़

नोट-ये रचना पूर्ण रूप से मेरी है।

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