बेटी...मैं बाबुल पिया घर छोड़ आई पिया ज़ालिम हरजाई।।
बाबुल....बेटी होवे है पराई समाज उठाऐगी उंगली तू क्यों आई।।
बेटी...बाबुल क्या शादी के बाद मेरा तुझसे ना नाता?
बाबुल... बेटी घर बैठी तो दुनिया हसी उड़ाई।।
बेटी...खून का रिश्ता बाबुल. तेरा और मेरा समाज क्या हमें मिलाई।।
बाबुल.... पर बेटी मजबूर पिता मैं समाज की रीत रिवाज जंजीर हाथों मे बंधवाई..
बेटी...सच आज मैं कहती बाबुल मेरी ना हो कोई बेटी जो मेरी तरह कभी दर्द पाऐ।।
वीना आडवानी
नागपुर, महाराष्ट्र
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