बदलाव मंच अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय(साप्ताहिक प्रतियोगिता (09/10/ 2020 से 13/10/2020)
(प्रतियोगिता हेतु मेरा दूसरा मौलिक एवं स्वरचित रचना)
विधा- कविता
शीर्षक-डॉ. ए. पी. जे.अब्दुल कलाम जी।
एक विद्यार्थी था कलाम जी, विज्ञान का।
पाठ करता था, बाइबिल ,गीता ,कुरान का।
पाया था सबसे उच्च पद,संविधान का।
काम करता था ,अंतरिक्ष अनुसंधान का।
सभी गुण था उसमें एक श्रेष्ठ, विद्वान का।
सच में हक़दार था, ' भारत रत्न ' सम्मान का।
मिशाल पेश किया था, सादगी और ईमान का।
वो तो सूरज था भारतीय, आसमान का।
थोड़ा भी घमंड नहीं था,अपने ज्ञान का।
बातें करता था देश के ,स्वाभिमान का।
कभी भी किसी की भी नहीं की निंदा।
हम भारतीयों को होने नही दिया शर्मिंदा।
आख़िर चला गया इस जमी का नेक परिंदा।
अंनत काल तक ' इतिहास ' में रहेगा जिंदा।
नारायण प्रसाद
आगेसरा,(अरकार)
जिला-दुर्ग छत्तीसगढ़
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