कैलाश सराफ "कैलाश" जी द्वारा बेहतरीन रचना#

मंच  को नमन
राष्ट्रीय साहित्य कला मंच
दिनांक -20 10 2020
विधा -कविता
विषय-कुष्मांडा
शीर्षक-कुछ ऐसा करो!
या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
 नमस्तस्यै नमो नमः।।
सुरासंपूर्ण कलशं रुधिरा प्लुतमेव ‌ च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यांश
कुष्मांडा शुभदास्तु मे ।।
चतुर्थ रूपिणी मां कुष्मांडा,
मंद मंद मुस्कान द्वारा अंड जननी ब्रह्मांड की, इसीलिए तुम कहलाई मां कुष्मांडा।।
धन्य हुए सारे नर-नारी दर्शन को तेरे आए भवन
हर्षित हो गया सारे जन जन का मन।।
विनती करें मां हम तेरे दर पे,
कु     नीति का कुछ ऐसा करो मां, जो नीति से जग चले।।
ष्मां     उष्मा तुम्हारी 
 व्यभिचारीअनाचारी कलयुगी राक्षसों को जलाकर भस्म करें  कुछ ऐसा करो मां जन-जन को सुख चैन मिले   ।।
डा      डाल डाल पर मां बसेरा तेरा, आठो याम तेरा गुण गाते चले ,
तेरी महिमा गाते चले,
दो आशीष जगत का इंसान फुले फले।।
   मां के दरबार में दर पर दो पुष्प मेरे, स्वीकार करो मां तुम हो अविनाशी अचल,,
शेर अर्ज--
रख दिया दर पे तेरे सर अपना,
मुद्दत हो गई भूल गया उठाना सर अपना।।
     धन्यवाद!
कैलाश सराफ "कैलाश"
पुणे महाराष्ट्र

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