मंच को नमन
दिनांक :05/10/2020
विषय : धूप और छाँव
विधा :कविता
*धूप और छाँव*
धूप और छाँव
एक सिक्के के दो पहलू
जीवन में कभी धूप होती कभी छाँव
भले दिन आते जीवन में कभी बुरे दिन भी
कड़वे मीठे फल सभी संसार में पाते
कभी उल्टे पड़ते अजब समय के पाँव
जीवन में कभी धूप होती कभी छाँव
कभी खुशी कभी गम मिलते
जीवन मे बारी-बारी सब
ईश्वर की मर्जी पर दुनिया है कायम
जीवन मे कभी धूप होती कभी छाँव
धूप का छाँव के बिना
छाँव के बिना धूप का
जीवन मे कोई अस्तित्व नहीं
धूप होती तभी छांव भी आती
दोनों शाम अंधेरे में खो जाती
दिन की आपाधापी में
थककर दोनों चूर हो जाती
जीवन मे कभी धूप होती कभी छाँव
यही लुकाछिपी जीवन की अजब कहानी
शिवशंकर लोध राजपूत
(दिल्ली)
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