कवि डॉ. जयप्रकाश नागला नांदेड जी द्वारा 'महात्मा गांधी की प्रासंगिकता' विषय पर रचना

महात्मा गांधी की प्रासंगिकता
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 अठारहवीं तथा उन्नीसवीं सदी का विश्वदूत यदि महात्मा गांधी को कहा जाये तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी । महात्मा गांधी का सम्पूर्ण
नाम मोहनचंद करमचंद गांधी , लेकिन उनको मानवतावादी विचारधारा का प्रेरणा स्रोत विश्व स्तर पर माना जाता है । तभी तो उनका नाम महात्मा गांधी
हो गया । वर्तमान समय मे भी गांधी नाम एक प्रासंगिकता का प्रतिक है । उनके तेजस्वी विचारों का
उन दिनों समस्त विश्व कायल रहा है और आज भी ।
हमारा देश बर्तानिया हुकूमत से स्वतंत्र होना चाहता था , लेकिन उन दिनों कोई मजबूत आंदोलन इसलिए
नही शुरू हुआ कि देश किसी एक विचारधारा से नही जुड़ा था । ऐसे में महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन
को गति दी ।
बर्तानिया हुकूमत ने कभी सोचा भी नही था कि अहिंसात्मक आंदोलन से देश जगाया जा सकता
है । लेकिन महात्मा गांधी की इसी तेजस्वी विचारधारा
ने देश व विश्व के सामने एक ऐसी मजबूत स्वतन्त्रता आंदोलन अंजाम दिया कि बर्तानिया सरकार की चूले
हिल गई । देश स्वतन्त्र हुआ , अंग्रेज देश छोड़ गये , लेकिन वह एक विचारधारा को अपने साथ ले गये,
वह था गांधी का अहिंसावाद ।
महात्मा गांधी का जन्मदिवस दो अक्तूबर को अहिंसा
दिवस के रूप में विश्वस्तर पर मनाया जाता है । उनका
अहिंसावादी मार्ग आज भी विश्व मे प्रासंगिक माना जाता है । इस बात को शायद हम नही जानते कि
महात्मा गांधी का जन्मदिवस भारत के साथ ही विश्व
के 90 प्रतिशत देशों में मनाया जाता है । भारत के बुद्धिजीवी महात्मा गांधी की शिक्षा से लेकर मानवीय संवेदनाओं तक कि सोच से प्रभावित हुए है । लेकिन ऐसे कई व्यक्ति महात्मा गांधी की विचारधारा को हमेशा प्रासंगिक मानते रहे है और इनकी ही सोच
के कायल रहे है । जिसमे म्यांमार की आंग - सान - सू की , न्यूयार्क की जोन वायस , मैक्सिको के सीजर सावेज , लॉस एंजिल के जियाओ मेसी , इटली की
एम्मा बोनिता , दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला , तिब्बत के दलाई लामा , अमरीका के मार्टिन ल्युथर किंग जैसे असामान्य व्यक्ति महात्मा गांधी की विचारधारा से प्रेरित रहे है ।महात्मा गांधी का अहिंसावाद मात्र हिंसा का विरोध मात्र नही 
था । उसका दूसरा पहलू यह भी
था कि मानव अपनी मानवता को 
हमेशा स्मृति में जीवित रखे । समस्त सजीव सृष्टि से प्रेम करें व
मानव जीवन को सफल बनायें ।मानवीय संवेदनाओं के प्रति गांधीजी की सकारात्मक सोच उनको विश्वदूत बना देती है ।
अहिंसा , त्याग , मानवीय संवेदना , प्रेम , सद्भावना आदि मानव जीवन को महान बनाती 
है । 
------- डॉ. जयप्रकाश नागला , 
         नांदेड़ , महाराष्ट्र 
      मो . 9922874972,

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