आज का विषय
हौसला
विधा कविता
सुनो आज मैं तो इंकलाब ही लिखूंगी,
सारे सवालों के अब जवाब भी लिखूंगी।
देश के दुश्मनों को मेरी ललकार है,
आज सारे गद्दारों के हिसाब भी लिखूंगी।
खामोशी जब ज्यादा आवाज लगा देना,
अंधियारा छा जाए तो विश्वास जगा देना।
जब तन्हाई का आलम ज्यादा हो तो,
भारत मां का फिर जयकारा लगा देना।
अब तो मुल्क में कोई खुशी भी ना रही,
हर तरफ है हवा नफरत की बही।
दिल के सारे जज्बात को है फिर कहीं।
राह बड़ी लंबी है इस पर मत रुको,
कठिनाइयों के आगे तो कभी मत झुको।
कब तक अत्याचार सहन करोगी,
अब तुम नारी शक्ति का बिगुल फूको।
हौसला को बनाए रखना तो है जरूरी,
चाहे सामने आये जैसी भी ये मजबूरी।
इन दुष्कर्मियों को सबक भी देना है,
चढ़ी है इनको जो यह मस्ती की शुरू री।
गीता पाण्डेय
रायबरेली उत्तरप्रदेश
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