कवयित्री योगीता चौरसिया जी द्वारा रचना “डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम जी"

बदलाव मंच को नमन
साहित्यिक प्रतियोगिता(9अक्टूम्बर से 13अक्टूबर)
12/10/2020
विषय- डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम जी

जीवन न्यौछावर कर दिये,
किये देश को हैं अर्पित।
ऐसे कलाम जी को करें,
हम नीर श्रृद्धांजलि समर्पित।।

जन्म से ही निर्धन पर,
अच्छे थे संस्कार।
ऊँच नीच नहीं था मन में,
सभी के साथ किया,
समानता का व्यवहार।।

सदा ही बढ़ाते रहें हमारे,
भारत देश का हैं मान।
कलाम जी तो हमारे,
देश की बड़ी हैं शान।।

बने हुये हैं आज भी युवाओं के,
भविष्य पथ प्रदर्शक।
दे गये हम देशवासियों को,
देश का सेटेलाइट रक्षक।।

अनुसंधान संगठन का बढ़ाते रहे क्रम,
मिसाइल मैन,वैज्ञानिक रहे प्रधान।
पद्म विभूषण,भारत रत्न से अलंकृत,
मिले बहुत पुरस्कार व सम्मान।।

देशभक्त रहे कलाम जी तो,
इंसान बड़े ही हैं महान्।
जानता आज भी हैं,
सारा सकल जहान।।

"करते हैं हम,कोटि कोटि वंदन।
देश के महकते हुये ये चंदन।"

स्वरचित/मौलिक
सुरक्षित/अप्रकाशित
योगिता चौरसिया
अंजनिया,मंडला म.प्र.

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