राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच'
साप्ताहिक प्रतियोगिता
नवरात्रि और नारी शक्ति
दिनांक 20/10/2020
कविता का शीर्षक : धी: प्रदायिनी
धी: प्रदायिनी, शक्ति स्वरूपिणी
जगतोद्धार हेतु सर्वदा तव पाणी
ज्ञाता सम्मुख करूं क्या निवेदन?
जग करता तुझे नाना संबोधन
दुष्ट शिक्षा का अगणित तेरे दृष्टांत
शिष्ट -रक्षा सदा रहा तेरा सिद्धांत
स्मित, सौम्य, शांत, रणचंडी, चामुंडी
करुण, बीभत्स, वीर, रौद्र, श्रृंगारित चंडी
ब्राम्ही, वैष्णवी वराही, माहेश्वरी इंद्राणी,चामुंडा,महालक्ष्मी, कौमारी
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटी कूष्मांडिनी
स्कंदमाता, कालरात्रि, गौरी, सिद्धिदात्री, कात्यायनी
.
आए दिन बहुविध रूप धारण किया
नेक के अनेक कारण का परिचय दिया
अगाध अम्बुधि सम्मुख हम कण हे माते
नित प्रज्वलित प्रकाश पुंज, हम दीप दाते
करद्वय जोड़ स्थित हम, सुस्थिति वर दे
विद्या, बुद्धि,ज्ञान, प्रतिभा प्रवहित कर दें
संपन्नता हो या संकट, मन मंदिर में बसना
तम अज्ञान को हर, सुज्ञानालोक पसारना ।।
रमेश बोंगाले बी एन
हिंदी अध्यापक व लेखक
श्री मंजुनाथ निलाय
दूसरे पीपल पेड़ के सामने
केंपनहल्ली मुख्य रास्ता चिक्कामगलूरु
कर्नाटक
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