नमन बदलाव मंच के
सभी सम्मानित जनों को
साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक-२४-१०-२०२०
*शीर्षक- नारी की महत्ता*
नारि की शक्ति न जान सके,
नारि तो ही है नर की खान।
सृजन करे प्रतिपालक बनकर
नारी शक्ति अति बहुत महान।
माँ बनकर संस्कार सिखाती,
अपनें सुत पर प्यार लुटाती।
खुद रह भूखें भले कहीं भी,
परिवार का कर्तव्य निभाती।
अमन और सुख शांती खातिर
सदा लुटाती अपनी भी जान।
नारि शक्ती ....................
जब आती है जीवन तरुणाई
बनकर भार्या घर में है आई।
प्रियतम को धन सारा समझे,
खुद को क्यूँ दुखियारा समझे
समझे न कोई विथा हृदय की
खुद जीवन धर्म वो सारा समझे।
कर्तव्यनिष्ठ और त्याग महान,
नारि शक्ती है बहुत महान
शिक्षक बन सिखाती नीति रीति
नारी ही आदि है और है अतीत।
लक्ष्मी बाई दुर्गा सी जो होती है,
दुख पानें पर वो बहु रोती है।
व्यथित रहे संताप ग्रस्त मुह से न बोलती है,
आशा जो अधुरी रहें पलकें नीर डुबोती है।
सीता अनसुय्या ओ अरुंधती,
न जान सके ये जग कुमती।
सच्चे दिल को सहारा समझे,
खुद किसीसे भी वो न उलझे।
गौरव और शान के खातिर ही,
रण में बनाती है श्यमशान।
कात्यायनी दुर्गा सदृश बनी
क्षण में दुष्टों का संघार किया
भक्ती विमल की सरित बहा
संतों का सदा उद्धार किया।
जो सदा अनीति का मार्ग चलें
उन दुष्टों का ही देती बलिदान
है परम पावनी गंगा सी नारी
बिन मतलब की न दुनियादारी
है पुष्प सदृश हिरदे उसका
देती अति स्वजनों स्नेहसुधा।
पालन करती वो है जग का
जन मन मानस जैसे वसुधा।
अविरल सी दीप्य छटा है वो
प्राकृति की एक घटा है वो
बोली से रस बरसा जाती है
प्रियतम की अनमोल छटा है वो
करते हैं हम नारी का सम्मान
नारी तो है बहुत ही महान।
स्वरचित गीता पांडे
रायबरेली उत्तर प्रदेश
मौलिक रचना
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