बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
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जब बेटियाँ लेंगी,
जन्म नही तो ।
बेटे का अस्तित्व कहाँ?
भारत की पढ़ेगी,
बेटियाँ नही तो।
भारत का उज्ज्वल भविष्य कहाँ?
बेटी को शिक्षित,
किये बिना।
परिवार का सुंदर व्यक्तित्व कहाँ?
अगर बेटी कोख में,
मारी जाएगी तो।
बेटे का जन्म होगा कहाँ?
घटेगी शनै-शनै ,
जब बेटियों की संख्या।
अविवाहित बेटे की,
बढ़ेंगी गिनतियां।
मनुज की नही,
बढ़ेगी वंश-परंपरा।
विलुप्त होती जाएगी,
मनुष्य की जातियाँ।
अगर बेटियाँ होंगी,
शिक्षित और योग्य।
उन्हें मिलेगा,
स्वालंबन का अधिकार।
तब विवाहित,
बेटियाँ नही झेलेगी ।
घरेलू हिंसा,,
आर्थिक हिंसा का प्रहार।
बनेंगी माता-पिता,
का भी अवलम्बन।
दूर होगी दहेजप्रथा,
जैसी कुरीति बेकार।
उन्हें भी होगा,
आत्मनिर्भरता का अभिमान,
शिक्षित बेटी से,
भविष्य में शिक्षित है संसार।
मुक्त करेगा शिक्षा का दर्पण,
सारे घर का अज्ञान।
शिक्षित माता द्वारा,
उचित शिक्षा-संस्कार।
करती शिक्षित पत्नी,
दायित्यों का उचित निर्वहन।
बिटिया बनेगी,
जागरूक और जिम्मेदार।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी ने कहा था,
"एक बेटी की शिक्षा से शिक्षित पूरा परिवार" ।
एक ही बेटी ज्ञान का,
दीप प्रज्ज्वलित करके।
ज्ञान की ज्योति से,
प्रकाशित करती पूरा परिवार।
भारत की अज्ञानता ही,
पिछड़ेपन का कारण
शिक्षा प्रत्येक नागरिक का अधिकार।
बिना लिंगभेद के,
सर्वप्रथम शिक्षा संस्कार।
अपने बच्चों के सुखद,
भविष्य का उपहार।
बेटा या बेटी एक ही,
बगिया के पुष्प है दोंनों।
उन्हें चाहिए समान पोषण ,
शिक्षा और प्यार।
अपना देश बने महान,
जहाँ शिक्षित समाज और परिवार।
हर बेटी हो शिक्षा से सुसज्जित,
बेटियों को मिले शिक्षा का अलंकार।
पढ़ेगी हमारी बेटियाँ,
बढ़ेगा हमारा इंडिया।
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स्वरचित और मौलिक
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