कवि निर्मल जैन नीर जी द्वारा रचना “खुले जब नयन"

खुले जब नयन....
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खुले
जब नयन
प्रभु राम के
हो जाये
दर्शन
खुले
जब नयन
मात पिता गुरू
का करूँ
वंदन
खुले
जब नयन
मातृ भूमि को
कर सदा
नमन
खुले
जब नयन
नवीन आशाओं का
हो स्वागत
वंदन
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      निर्मल जैन 'नीर'
     ऋषभदेव/उदयपुर

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